Monday 15 October 2012

आदिशक्ति की आराधना का पर्व: शारदीय नवरात्र



मंगलवार से शारदीय नवरात्र पर्व शुरू होगा. नवरात्र के पहले दिन घट स्थापन कर दुर्गा की प्रतिमा की स्थापना की जाती है और पूरे नौ दिन व्रत और दुर्गा सप्तशती का पाठ का विधान है. पूरे नवरात्र अखंड दीप जलाकर माँ की स्तुति की जाती है और उपवास रखा जाता है. नवरात्र के अंतिम दिन कन्याओं को भोजन कराकर यथाशक्ति दक्षिणा देकर व्रत का समापन किया जाता है. वर्ष में नवरात्र दो बार आते हैं. चैत्र शुक्ल पक्ष प्रतिपदा से शुरू होने वाले नौ दिवसीय पर्व को वासंतिक नवरात्र कहा जाता है और अश्विन शुक्ल प्रतिपदा से शुरू होने वाले नवरात्र को शारदीय नवरात्र कहते हैं.

नवरात्र में भगवती के नौ रूपों - शैलपुत्री, ब्रह्माचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री की पूजा-आराधना का विधान है. माँ जगदंबा शक्ति की अधिष्ठात्री देवी मानी गई हैं और उनकी उपासना का पर्व है नवरात्र. नवरात्र के दिनों को तीन भागों में बांटा गया है. पहले तीन दिनों में तमस को जीतने की आराधना, अगले तीन दिन रजस और आखिरी तीन दिन सत्व को जीतने की अर्चना के माने गए हैं. नवरात्र पर्व का आध्यात्मिक, धार्मिक और सामाजिक महत्व है. यह पर्व नवरात्र के अलावा दुर्गा पूजा, कुल्लू दशहरा, मैसूर दशहरा, बोम्मई कोलू, आयुध पूजा, विद्यारंभ, सरस्वती पूजा और सिमोल्लंघन आदि नामों से देश के विभिन्न भागों में मनाया जाता है. यह पर्व ऋतु परिवर्तन को भी दर्शाता है.

नवरात्र के पहले दिन ही अपनी सामर्थ्य के अनुसार पूजा करने व व्रत रखने का संकल्प लिया जाता है. यह व्रत नौ, सात, पांच या तीन दिन का किया जा सकता है. इस दौरान व्रती को एक समय भोजन व नियम-संयम युक्त दिनचर्या का पालन करना जरूरी माना गया है. यह व्रत आबाल-वृद्ध कोई भी कर सकता है. माँ दुर्गा के 51 शक्तिपीठ माने गए हैं (मतांतर से 52), जहाँ विशेष अर्चना की जाती है.

मार्कंडेय पुराण के अंतर्गत देवी महात्म्य में दुर्गा ने स्वयं को शाकंभरी अर्थात साग-सब्जियों से विश्व का पालन करने वाली बताया है. देवी का एक और नाम कूष्मांडा भी है. इससे स्पष्ट है कि माँ दुर्गा का संबंध वनस्पतियों से भी प्रतीकात्मक रूप से जुड़ा है. दुर्गा पूजा का मूल महत्व मातृशक्ति की पूजा है. शक्ति में सृजन की जो क्षमता होती है, उसी की हम पूजा करते हैं. शक्ति का सही रूप सृजन धर्मा है. प्रकृति अपने नारी रूप में जगत को धारण करती है, उसका पालन करती है और शक्ति रूप में संतुलन बिगड़ने पर विध्वंसकारी शक्तियों का विनाश कर सार्थक शक्ति का संचार करती है.

अध्यात्म में नवरात्र पर्व की विशेष मान्यता है. कारण कि नवरात्र में किए गए प्रयास, शुभ संकल्प पराम्बा की कृपा से सफल होते हैं.


आगे नवरात्र के विशेष लेखों का क्रम चलेगा.


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                                                       !! हरिॐ तत्सत्‌ !!


                                                                                                         ''वशिष्ठ''

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