इस बार 15 अक्टूबर को पडने वाली सर्वपितृ अमावस्या पर 7 साल बाद एक विशेष त्रियोग बना है. सोमवार का दिन तथा हस्त नक्षत्र की साक्षी में 15 अक्टूबर को आने वाली अमावस्या तिथि ''सोमवती सर्वपितृ अमावस्या'' कहलाएगी. इस विशेष पर्वकाल में पितरों की तृप्ति तथा पदवृद्घि के लिए किया गया पूजन विशेष फलदायी रहेगा. शास्त्रों के अनुसार श्राद्घकर्म में भरणी, मघा तथा हस्त नक्षत्र विशेष महत्व रखते हैं.
'गर्गसंहिता' के अनुसार तिथियों के अलावा इन नक्षत्रों में पितरों का पूजन करने से पितृ तृप्त तो होते ही हैं तथा पितृलोक में उनके पद में विशिष्ट वृद्घि भी होती हैं.
हस्त नक्षत्र की उपस्थिति में सर्वपितृ सोमवती अमावस्या पर तुलसी पत्र से पिंडार्चन करना विशेष फलदायी होता है. तुलसी की गंध से पितृगण प्रसन्न होते हैं, 'श्राद्घ कल्प' में इसका उल्लेख मिलता है.
आशा है आप सभी इस दुर्लभ योग से अवश्य ही लाभ उठायेंगे.
!! हरिॐ तत्सत् !!
''वशिष्ठ''
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