Wednesday, 30 November 2011

अपने कम्प्यूटर पर दौड़ते हुए घोड़े का वालपेपर लगाएं, क्योंकि...

क्या आप जानते हैं आपके कम्प्यूटर का वालपेपर आपके कार्य को प्रभावित करता है। यदि आप चाहते हैं कि आप अपने कार्य में एकदम परफेक्ट हो और कार्य फटाफट कम्प्लीट हो जाए। तो अपने डेस्कटॉप पर दौड़ते हुए घोड़े का फोटो लगाएं।

यदि आपके डेस्कटॉप पर दौड़ते हुए घोड़े का फोटो होगा तो सच मानिए आपके कार्य में तेजी आएगी। घोड़ा हमेशा से ऊर्जा का प्रतीक रहा है। इसे देखकर कार्य में ध्यान लगता है और ऊर्जा मिलती है। यदि आपको अक्सर नकारात्मक विचारों से जुझना पड़ता है तो यह फोटो आपके विचारों पर भी अच्छा प्रभाव डालेगा।

शास्त्रों के अनुसार घोड़े को शक्ति का पर्याय माना गया है। ये एक ऐसा जीव है जो स्वस्थ होने पर जीवन में कभी भी बैठता नहीं है। घोड़ा कभी थकता भी नहीं है। इसी वजह से जहां घोड़ा या घोड़े का फोटो भी रहता है तो वहां का वातावरण भी ऊर्जा से भरपूर हो जाता है।

कम्प्यूटर के अतिरिक्त यदि आप ऑफिस में दौड़ते हुए घोड़े का बड़ा फोटो लगाएंगे तो इसके सकारात्मक परिणाम प्राप्त होंगे। आप अपना कार्य पूरी तन्मयता के साथ कर पाएंगे। सफलता आपके कदम चूमेगी।


घर के मंदिर में भगवान की कितनी मूर्तियां रखनी चाहिए?


हमारे जीवन की हर एक समस्या का निवारण मात्र भगवान की प्रार्थना से ही संभव है। कर्मों के साथ ही भगवान की कृपा प्राप्त होने पर मुश्किल कार्य भी आसानी से पूर्ण हो जाता है। सुख-शांति बनी रहे इसके लिए सभी के घरों में भगवान का एक मंदिर अवश्य ही रहता है। घर के मंदिर में कौन से भगवान की कितनी प्रतिमाएं रखनी चाहिए? इस संबंध में शास्त्रों में आवश्यक निर्देश दिए गए हैं।

सभी के घरों में भगवान के लिए भी यथाशक्ति अलग घर या मंदिर अवश्य होता है। मंदिर में अपने इष्ट देव की मूर्ति, तस्वीर, पूजा का अन्य सामान रखा जाता है। भगवान की मूर्तियों की संख्या के संबंध में ये विशेष बातें शास्त्रों में बताई गई हैं-

- घर के मंदिर में श्रीगणेश की 3 प्रतिमाएं नहीं होना चाहिए। गणपति की मूर्ति होना जरूरी है लेकिन इनकी मूर्तियों की संख्या 3 नहीं होना चाहिए। गणेशजी की मूर्तियों की संख्या 3 अशुभ मानी जाती है।

- मंदिर में दो शिवलिंग नहीं होना चाहिए तथा शिवलिंग अंगूठे के आकार का होना चाहिए। घर के मंदिर में एक ही शिवलिंग रखना श्रेष्ठ फल देता है। एक से अधिक शिवलिंग रखना शास्त्रों के अनुसार वर्जित है।

- किसी भी देवी या माताजी की 3 प्रतिमाएं नहीं रखें। इनकी संख्या भी 3 नहीं होना चाहिए।

Monday, 28 November 2011

धन के सपने, सपनों का धन...

                 
                      सपने सभी देखते हैं। सपनों का मन से गहरा रिश्ता होता है। मन जितना निर्मल और पारदर्शी होगा, सपने भी उतने ही स्पष्ट, सटीक और सुलझे हुए दिखाई देंगे। हमारी इंद्रियाँ स्वप्न में अधिक संवेदनशील हो जाती है। अपने इंट्यूशन पॉवर से हम सपनों को समझ सकते हैं। 


कई बार विचित्र किस्म के सपने आते हैं जिनका वर्तमान से तालमेल बैठाना मुश्किल होता है। एकाग्र होकर, गहराई से विश्लेषण करें तो उनके इशारे और रिजल्ट को जानने में सफलता मिल सकती है।


आज हर आँखों का सपना है 'मनी'। और बात यदि 'मनी' के सपनों की करें तो स्वाभाविक जिज्ञासा होगी कि आखिर उन सपनों के संकेत क्या होते हैं। धन के सपनों में प्रमुख रूप से जल, श्वे रंग, फूल, फल, पशु, अनाज, पात्र और देवी-देवता का महत्व है।


पानी
जल अर्थात् पानी का धन-दौलत से बहुत करीब का संबंध माना गया है। दोनों ही समान क्वालिटी के होते हैं। दोनों नेचर है बहना। यदि कद्र न की जाए, सहेज कर न रखा जाए तो दोनों बह जाते हैं। इ‍सलिए सपने में वर्षा होती दिखे। व्यक्ति स्वयं कुएँ से पानी भरे तो जल्द धन लाभ की संभावना है। सपने में स्वीमिंग मात्र ही असीमित धन-आगमन का सूचक है। सपने में नदी अथवा समुद्र-दर्शन भी अकस्मात धन प्राप्ति का संकेत है।


सफेद रंग
ड्रीम एक्सपर्ट्स की मान्यता है कि सपने में व्हाइट कलर यानी सफेद रंग का विशेष महत्व होता है। इस रंग को पीस एवं डिग्न‍िटी का प्रतीक माना गया है। इसलिए सपने में सफेद ड्रेस देखना, सफेद ड्रेस पहनना, सफेद फूलों की माला देखना, सफेद बर्फ से ढँका माउंटेन देखना, सफेद समुद्र, सफेद मंदिर का शिखर, व्हाइट फ्लैग, शंख और सफेद सूर्य-चंद्र आदि समृद्धि एवं प्रचुर मात्रा में धनागमन का संकेत हैं। 


फल 
ड्रीम एक्सपर्ट के. मिलर के अनुसार सपने में खुद के हाथों में फल टपके, फल वाले ट्री दिखाई दें, आँवला, अनार, सेब, नारियल, सुपारी एवं काजू आदि को देखें तो धन आने की प्रबल संभावना है। फल का सेवन अलग-अलग स्वप्न विशेषज्ञों की राय में शुभ-अशुभ दोनों माना गया है जबकि केले के संबंध में अधिकांश विशेषज्ञ एकमत हैं कि वह अशुभ है और कई मामलों में मृत्युसूचक यानी डेथ इंडीकेटर भी। 


फूल 
सफेद कमल, लाल कमल, केतकी, मालती, नागकेसर, चमेली, चाँदनी एवं गुलमोहर के फूल सपने में देखने वाला निश्चित ही भविष्य में अपार धन-संपत्ति का स्वामी बनता है।


पशु
पशुओं का सपने में दिखाई पड़ना भी विशेष रूप से रूपए-पैसे आने का संकेत माना गया है। मस्त हाथी, गाय,घोड़ा, बैल, बिच्छू, बड़ी मछली, व्हाइट सर्प, बंदर, कछुआ एवं कस्तूरी हिरण जहाँ अचानक विशेष धन प्राप्ति के प्रतीक माने गए हैं। वहीं मधुमक्खी यानी बी के विषय में कहा गया है कि इसका सपना देखने वाले व्यक्ति का बैंक के खाते में दिन दूना, रात चौगुना धन बढ़ता है। जबकि सपने में चूहे देखने वाले व्यक्ति का बैंक में छोटा-मोटा खाता खुलना तय है।


अनाज 
सपने में व्यक्ति अनाज के ढेर पर स्वयं को चढ़ता देखे और उसी समय उसकी नींद खुल जाए तो धन लाभ, निश्चित समझे। उसी तरह चावल, मूँग, जौ, सरसों आदि भी धन प्राप्ति का संकेत देते हैं।


बर्तन 
कलश, पानी से भरा घड़ा और बड़े पात्रों को धन आगमन का सुनि‍श्चित प्रतीक माना गया है। एक सपने के विषय में दुनिया भर के स्वप्नशास्त्री एकमत है। उनके अनुसार मिट्‍टी का पॉट देखना सबसे अच्छा होता है। ऐसे व्यक्ति को शीघ्र ही अपार धन संपदा की प्राप्ति होती है। साथ ही भूमि लाभ भी मिलता है।


देवता 
भारतीय स्वप्न विशेषज्ञों के अनुसार सपने में दिवंगत पूर्वजों का दर्शन एवं उनके आशीर्वाद विशेष सफलतादायक है। मंदिर, शंख, गुरु, शिवलिंग, दीपक, घंटी, द्वार, राजा, रथ, पालकी, उजला आकाश एवं पूनम का चाँद आदि विशेष समृद्धिदायक एवं भाग्योदय का प्रतीक माने गए हैं।


ये सब संकेत हैं धनागमन के, किंतु कर्म, प्रयास और परिश्रम न किए जाएँ तो सपने फिर सपने होते हैं। सपने कब अपने होते हैं। इन संकेतों से इंस्पीरेशन लेकर अपने काम की प्लानिंग करना तो ठीक है किंतु उनके भरोसे बस हाथ पर हाथ धरे सपना पूरा होने का इंतजार करना नादानी है।


बकौल निदा फाजली : 
सपना झरना नींद का
जागी आँखें प्यास
पाना, खोना, खोजना
साँसों का इतिहास। 


सच तो यह है कि सुरमई अँखियों में सजा नन्हा-मुन्ना सपना अपना हो तो जाएगा लेकिन इसके लिए थोड़ा 'तपना' पड़ेगा। इस 'तपने' में ही सपने का असली 'अर्थ' छिपा है।

धनलाभ के लिए सप्ताह में किस दिन करें किस देवता की पूजा ?

देव स्मरण के लिए कोई बंधन नहीं होता। हिन्दू मान्यताओं में हर जीव में ही शिव का वास बताया गया है। इसलिए धार्मिक आस्था से चलते-फिरते, उठते-बैठते अच्छे भाव व उद्देश्य से किया गया हर सोच-विचार परब्रह्म शिव को प्रसन्न करने वाला माना गया है। 


शास्त्रों में विचार के साथ कर्म का गठजोड़ महत्वपूर्ण बताया गया है। इसलिए बाहरी उपचारों व देव कर्मों से देवताओं को प्रसन्न कर जीवन से जुड़ी अनेक अहम जरूरतों और इच्छाओं को पूरा करना हितकारी माना गया है।

शिवपुराण में सप्ताह के अलग-अलग दिनों में नवग्रह विशेष की पूजा के विशेष फल बताए गए हैं। जानते हैं -

रविवार - सूर्य पूजा से निरोगी जीवन व यश की कामना पूरी करें।

सोमवार - चन्द्र व शिव पूजा से मानसिक शांति व संपत्ति प्राप्त करें।

मंगलवार - मंगल पूजा रोग शमन के साथ पराक्रम, विवाह सुख देने वाली होती है। वहीं हनुमान पूजा शक्ति, बुद्धि व ज्ञान देती है।

बुधवार - बुध व गणेश पूजा से बुद्धि, विवेक व पुष्टि प्राप्त होती है।

गुरुवार - बृहस्पति, गुरु, विष्णु पूजा से आयु, ज्ञान, ऐश्वर्य, सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।

शुक्रवार - देवी व शुक्र पूजा से सभी भौतिक सुख, धन व भोग प्राप्त होते हैं।

शनिवार - शनि पूजा सभी मृत्यु तुल्य कष्टो व काल से रक्षा कर सुख-सौभाग्य देती है।

सर्दियों में योग

सर्दियों में योग
सूक्ष्म व्यायाम व सूर्य नमस्कार
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योग के अभ्यास क्रम में सर्दियों में वैसे तो सभी प्रकार के शिथिलीकरण व्यायाम व आसन लाभ पहुंचाते हैं, किंतु सूक्ष्म व्यायामों से काफी लाभ मिलता है। सर्दियों में जोड़ों व मांसपेशियों में संकुचन बढ़ जाने से पीड़ा का अनुभव ज्यादा होता है। ऐसे में व्यक्ति सुबह उठकर दैनिक क्रियाओं से निवृत्त होकर सबसे पहले योगाभ्यास क्रम में सूक्ष्म व्यायाम करे, उसके बाद कुछ विशिष्ट आसन करे।

बाद में श्वास पर ध्यान रखकर 12 सूर्य नमस्कार करे तो वह इस प्रकार की पीड़ा से मुक्ति पा सकता है। वहीं श्वसन के व्यायामों के पश्चात अनुलोम-विलोम, नाड़ी शुद्धि तथा भ्रामरी प्राणायाम करे तो उसकी जीवन शक्ति में वृद्धि होती है। अंत में लगभग पांच मिनट तक आंखें बंदकर ओंकार का लगातार उच्चारण करें।

सर्दियों के मौसम को हम स्वास्थ्य की दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण मानते हैं, इसलिए इस मौसम में स्वास्थ्य के प्रति जागरूक लोग प्राकृतिक चिकित्सा की ओर रुख कर रहे हैं। सनबाथ, स्टीमबाथ तथा मसाज इन दिनों काफी लाभ पहुंचाती है।