| तत्सवितुर्वरेण्यं |
|| ॐ श्री गुरवे नमः ||
*** वेदमाता गायत्री का प्राकट्य दिवस गायत्री जयंती (31.05.2012) *** *** गंगावतरण का पर्व गंगा दशहरा (31.05.2012)***-------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
*** गायत्री जयंती ***
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हिंदू धर्म में मां गायत्री को वेदमाता कहा जाता है अर्थात सभी वेदों की उत्पत्ति इन्हीं से हुई है। गायत्री को भारतीय संस्कृति की जननी भी कहा जाता है। धर्म शास्त्रों के अनुसार ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी को मां गायत्री का अवतरण माना जाता है। इस दिन को हम गायत्री जयंती के रूप में मनाते है। इस बार गायत्री जयंती का पर्व 31 मई को है।
धर्म ग्रंथों में यह भी लिखा है कि गायत्री उपासना करने वाले की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं तथा उसे कभी किसी वस्तु की कमी नहीं होती। गायत्री से आयु, प्राण, प्रजा, पशु, कीर्ति, धन एवं ब्रह्मवर्चस के सात प्रतिफल अथर्ववेद में बताए गए हैं (ॐ स्तुता मया वरदा..... ||), जो विधिपूर्वक उपासना करने वाले हर साधक को निश्चित ही प्राप्त होते हैं। विधिपूर्वक की गयी उपासना साधक के चारों ओर एक रक्षा कवच का निर्माण करती है व विपत्तियों के समय उसकी रक्षा करती है।
हिंदू धर्म में मां गायत्री को पंचमुखी माना गया है जिसका अर्थ है यह संपूर्ण ब्रह्माण्ड जल, वायु, पृथ्वी, तेज और आकाश के पांच तत्वों से बना है। संसार में जितने भी प्राणी हैं, उनका शरीर भी इन्हीं पांच तत्वों से बना है। इस पृथ्वी पर प्रत्येक जीव के भीतर गायत्री प्राण-शक्ति के रूप में विद्यमान है। यही कारण है गायत्री को सभी शक्तियों का आधार माना गया है इसीलिए भारतीय संस्कृति में आस्था रखने वाले हर प्राणी को प्रतिदिन गायत्री उपासना अवश्य करनी चाहिए।
*** गंगा दशहरा ***
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हिंदू जनमानस में गंगा स्नान का विशेष महत्व है। गंगा भारत की ही नहीं बल्कि विश्व की पवित्रतम नदी है। इस तथ्य को भारतीय तो मानते ही है, विदेशी विद्वान भी इसे स्वीकार करते है। जिस प्रकार संस्कृत भाषा को देववाणी कहा जाता है, उसी प्रकार गंगाजी को देवनदी कहा जाता है।
* प्रचलित मान्यता :-
ऐसा माना जाता है कि गंगा जी स्वर्गलोक से ज्येष्ठ शुक्ल दशमी को पृथ्वी पर उतरी थीं (जबकि भगवती गंगा की उत्पत्ति श्रीहरि के चरणकमलों से वैशाख शुक्ल सप्तमी को मानी जाती है )। इसी दिन सूर्यवंशी राजा भगीरथ की पीढि़यों का परिश्रम और तप सफल हुआ था। उनके घोर तप के फलस्वरूप गंगाजी ने शुष्क तथा उजाड़ प्रदेश को उर्वर तथा शस्य श्यामल बनाया और भय-ताप से दग्ध जगत के संताप को मिटाया। उसी मंगलमय सफलता की पुण्य स्मृति में गंगा पूजन की परंपरा प्रचलित है।
* भारतीय संस्कृति और गंगा :-
गंगा, गीता और गौ को भारतीय संस्कृति में विशेष महत्व दिया गया है। प्रत्येक आस्तिक भारतीय गंगा को अपनी माता समझता है। गंगा में स्नान का अवसर पाकर कृत-कृत्य हो जाता है। गंगा दशहरा के दिन गंगा के प्रति अपनी सारी कृतज्ञता प्रकट की जाती है। ऐसा माना जाता है कि गंगा दशहरा के दिन गंगा स्नान और पूजन से समस्त पाप नष्ट हो जाते है। गंगा दशहरा के दिन यदि संभव हो तो गंगा स्नान अवश्य करना चाहिए अथवा किसी अन्य नदी, जलाशय में या घर के ही शुद्ध जल से गंगाजल मिलाकर स्नान करें, लेकिन गंगा जी का स्मरण और पूजन अवश्य करें।
नाम मंत्र के साथ निम्न मंत्र का प्रयोग भी किया जा सकता है-
नमो भगवत्यै दशपापहरायै गंगायै नारायण्यै रेवत्यै |
शिवायै अमृतायै विश्वरूपिण्यै नंदिन्यै ते नमो नम: ||
गंगा पूजन के साथ उनको भूतल पर लाने वाले राजा भागीरथ और उद्गम स्थान हिमालय का भी पूजन नाम मंत्र से करना चाहिए। इस दिन गंगा जी को अपनी जटाओं में समेटने वाले भगवान शिव की भी पूजा करनी चाहिए। संभव हो तो इस दिन दस फूलों और तिल आदि का दान भी करना चाहिए।
* अथक भागीरथ प्रयन्न
गंगा जी की कृपा से भारत का मानचित्र ही बदल गया है। गंगावतरण के प्रमुख साधक भगीरथ की साधना, तप और अति विकट परिश्रम ने यह अमृत फल प्रदान किया है। उनके इस कठिन प्रयत्न की वजह से ही भगीरथ प्रयत्न एक मुहावरा बन गया है और गंगा जी का एक नाम भागीरथी पड़ गया। गंगावतरण की तिथि गंगा दशहरा के दिन हरिद्वार स्थित हर की पौड़ी में गंगा स्नान, गंगा पूजन और दान का विशेष महत्व है।
अतः ऐसे पवित्र दिन में यथासंभव पवित्र रहकर भगवती गंगा व वेदमाता गयात्री का पूजन-अर्चन करना चाहिये |
आप सभी को अनंत शुभकामनायें...
अभिनव वशिष्ठ.
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