Thursday, 30 August 2012
भाद्रपद अधिक मास पूर्णिमा : 31.08.2012
इस वर्ष 2012 में भाद्रपद माह में अधिकमास पड़ रहा है. इस माह की पूर्णिमा का विशेष महत्व माना जाता है. इस माह में आने वाली पूर्णिमा के दिन स्नानादि कर्म से निवृत होकर भगवान सूर्यनारायण का पुष्प, अक्षत तथा लाल चंदन से पूजन करें. फिर शुद्ध घी, गेहूँ और गुड. के मिश्रण से पूए बनाने चाहियें तथा फल, वस्त्र, मिष्ठान और दक्षिणा समेत दान करना चाहिए. आप यह दान अपनी सामर्थ्यानुसार ही करें. दान करते समय निम्न मंत्र का जाप करना चाहिए.
“ऊँ विष्णु रूप: सहस्त्रांशु सर्वपाप प्रणाशन:। अपूपान्न प्रदानेन मम पापं व्यपोहतु।।”
इस मंत्र के बाद भगवान विष्णु से प्रार्थना करते हुए निम्न मंत्र बोलें :-
“यस्य हस्ते गदाचक्रे गरुड़ोयस्य वाहनम । शंख करतले यस्य स मे विष्णु: प्रसीदतु ।।”
*$* भाद्रपद अधिक मास पूर्णिमा पूजा -
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साधारणतः भाद्रपद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा भाद्रपद नक्षत्र में रहता है लेकिन चूँकि इस बार अधिकमास है अत: चन्द्रमा भाद्रपद नक्षत्र में ना होकर शतभिषा में रहेगा. पूर्णिमा को प्रात:काल सूर्योदय से पूर्व किसी पवित्र नदी, पोखर, कुआं या घर पर ही स्नान करके भगवानविष्णु की पूजा करनी चाहिए. भाद्रपद मास में ब्राह्मण को भोजन कराना, दक्षिणा देना तथा पितरों का तर्पण करना चाहिए. भाद्रपूर्णिमा के दिन गंगास्नान करने वाले पर भगवान विष्णु की असीम कृपा रहती है. इस वर्ष भाद्रपद मास अधिकमास होने के कारण इस पूर्णिमा का महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है इस समय व्रत एवं पूजा पाठ द्वारा व्यक्ति को सुख-सौभाग्य, धन-संतान की प्राप्ति होती है.
भाद्रपद अधिक मास पूर्णिमा के अवसर पर भगवान सत्यनारायणजी की कथा की जाती है. भगवान विष्णु की पूजा में केले के पत्ते व फल, पंचामृत, सुपारी, पान, तिल, मोली, रोली, कुमकुम, दूर्वा का उपयोग किया जाता है. इसके साथ ही साथ गेहूँ के आटे को भून कर उसमें चीनी मिलाकर पंजीरी का प्रसाद बनाया जाता है और इस का भोग लगाया जाता है.
इसके बाद सुविधानुसार देवीलक्ष्मी, महादेव और ब्रह्माजी का पूजन भी किया जाता है, मतांतर से अन्य देव-देवियों के पूजन की भी परंपरा है. विष्णु पूजन में चरणामृत का विशेष महत्व है अतः चरणामृत प्रसाद सभी को लेना चाहिए.
*$* अधिक मास पूर्णिमा व्रत का महत्व -
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जो व्यक्ति अधिकमास में पूर्णिमा के व्रत का पालन करते हैं, उन्हें भूमि पर ही सोना चाहिए. एक समय केवल सादा तथा सात्विक भोजन करना चाहिए. इस दिन व्रत रखते हुए भगवान पुरुषोत्तम अर्थात विष्णुजी का श्रद्धापूर्वक पूजन करना चाहिए तथा मंत्र जाप करना चाहिए. श्रीपुरुषोत्तम माहात्म्य की कथा का पठन अथवा श्रवण भी किया जा सकता है. श्रीमद्रामचरितमानस का पाठ या रुद्राभिषेक का पाठ भी किया या करवाया जा सकता है, साथ ही किसी भी विष्णुस्तोत्र का पाठ करना भी शुभ होता है. अधिकमास पूर्णिमा के दिन श्रद्धा भक्ति से व्रत तथा उपवास रखना चाहिए. इस दिन पूजा-पाठ का अत्यधिक माहात्म्य माना गया है. अधिकमास के पुण्यों को लोकोत्तर गतिके लिए अत्यन्त शुभ बताया गया है.
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ॐ नमो नारायणाय ||
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''वशिष्ठ''
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